ग्रंथ, धर्म शास्त्र बताते हैं कि हमें कैसा जीवन जीना चाहिए, हमारे विचार कैसे होने चाहिए, हमारे कर्तव्य और अधिकार क्या हैं, ऐसे ही कई प्रश्नों के उत्तर ग्रंथों में मिल जाते हैं। इसी वजह से सभी के लिए ग्रंथों का अध्ययन करने की सलाह दी जाती है। जीवन की कैसी भी परेशानियां हो, शास्त्रों में उनका हल दिया हुआ।
अधिकांश हिंदू परिवारों में धर्म ग्रंथ के नाम पर रामचरितमानस या फिर श्रीमद् भागवत पुराण ही मिलता है। महाभारत जिसे पांचवां वेद माना जाता है, इसे घरों में नहीं रखा जाता। बड़े-बुजुर्गों से पूछे तो जवाब मिलता है कि महाभारत घर में रखने से घर का माहौल अशांत होता है, भाइयों में झगड़े होते हैं। क्या वाकई ऐसा है? अगर यह मिथक है तो फिर हकीकत क्या है, क्यों रामायण को घर में स्थान दिया जाता है लेकिन महाभारत को नहीं।
वास्तव में महाभारत रिश्तों का ग्रंथ है। परिवारिक, सामाजिक और व्यक्तिगत रिश्तों का ग्रंथ। इस ग्रंथ में कई ऐसी बातें हैं जो सामान्य बुद्धि वाला इंसान नहीं समझ सकता। पांच भाइयों के पांच अलग-अलग पिता से लेकर एक ही महिला के पांच पति तक। सारे रिश्ते इतने बारिक बुने गए हैं कि आम आदमी जो इसकी गंभीरता और पवित्रता को नहीं समझ सकता। वह इसे व्याभिचार मान लेता है और इसी से समाज में रिश्तों का पतन हो सकता है। इसलिए भारतीय मनीषियों ने महाभारत को घर में रखने से मनाही की है क्योंकि हर व्यक्ति इस ग्रंथ में बताए गए रिश्तों की पवित्रता को समझ नहीं सकता।
इसमें जो धर्म का महत्व बताया गया है वह भी सामान्य बुद्धि से नहीं समझा जा सकता, इसके लिए गहन अध्ययन और फिर गंभीर चिंतन की आवश्यकता होती है।
Sunday, January 30, 2011
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment