अपनी नज़र से कोई मुझे जगमगा गया
महफ़िल में आज सब की निगाहों में छा गया
कल तक तो इस हुजूम में मेरा कोई न था
लो आज हर कोई मुझे अपना बना गया
आता नहीं था कोई परिन्दा भी आस-पास
अब चाँद ख़ुद उतर के मेरी छत पे आ गया
जो दर्द मेरी जान पे रहता था रात-दिन
वो दर्द मेरी ज़िन्दगी के काम आ गया
हैरान हो के लोग मुझे पूछते हैं आज
‘आज़ाद’ तुमको कौन ये जीना सिखा गया
Sunday, December 18, 2011
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