इस स्त्रोत का प्रतिदिन जप करने से मां लक्ष्मी शीघ्र ही प्रसन्न हो जाती है और साधक को मनचाहा फल प्रदान करती है। यह स्तुति इस प्रकार है-
श्री लक्ष्मी द्वादशनाम स्तोत्रम्-
ईश्वरीकमला लक्ष्मीश्चलाभूतिर्हरिप्रिया।
पद्मा पद्मालया संपत् रमा श्री: पद्मधारिणी।।
द्वादशैतानि नामानि लक्ष्मी संपूज्य य: पठेत्।
स्थिरा लक्ष्मीर्भवेत्तस्य पुत्रदारादिभिस्सह।।
जप विधि
- सुबह जल्दी उठकर नहाकर साफ वस्त्र पहनकर देवी लक्ष्मी का पूजन करें। उन्हें लाल गुलाब के फूल अर्पित करें।
- देवी लक्ष्मी की मूर्ति के सामने आसन लगाकर स्फटिक की माला लेकर इस स्त्रोत का जप करें। प्रतिदिन पांच माला जप करने से उत्तम फल मिलता है।
- आसन कुश का हो तो अच्छा रहता है।
- एक ही समय, आसन व माला हो तो यह स्त्रोत जल्दी ही सिद्ध हो जाता है।..
हर समस्या का हल है राम स्तोत्र
.हर इंसान के जीवन में परेशानियों का आना-जाना लगा ही रहता है। कई बार समस्याएं इतनी अधिक हो जाती हैं कि इंसान टूट सा जाता है उसे कोई हल सुझाई नहीं देता। ऐसे में सिर्फ भगवान का सहारा ही उसे बचा सकता है। ऐसी मान्यता है कि भगवान राम का नाम लेने मात्र से सभी समस्याओं का निदान संभव है। यदि नित्य राम स्तोत्र का पाठ किया जाए तो ऐसी कोई मनोकामना नहीं जिसे भगवान राम पूरी नहीं करते। राम स्तोत्र भगवान राम की उपासना करने बहुत ही सरल व सहज माध्यम है-
राम स्तोत्र-
राम रामेति रामेति रमे रामे मनोरमे।
सहस्त्र नाम तत्तुन्यं राम नाम वरानने।।
जप विधि
- सुबह जल्दी उठकर नहाकर साफ वस्त्र पहनकर प्रभु श्रीराम का पूजन करें।
- भगवान राम की मूर्ति के सामने आसन लगाकर रुद्राक्ष की माला लेकर इस स्तोत्र का जप करें। प्रतिदिन पांच माला जप करने से उत्तम फल मिलता है।
- आसन कुश का हो तो अच्छा रहता है।
- एक ही समय, आसन व माला हो तो यह स्तोत्र जल्दी ही सिद्ध हो जाता है।......
वास्तु शांति के शुभ मुहूर्त
नए घर में प्रवेश से पूर्व वास्तु शांति अर्थात यज्ञादि धार्मिक कार्य अवश्य करवाने चाहिए। वास्तु शांति कराने से भवन की नकारात्मक ऊर्जा समाप्त हो जाती है तभी घर शुभ प्रभाव देता है। जिससे जीवन में खुशी व सुख-समृद्धि आती है। वास्तु शास्त्र के अनुसार मंगलाचरण सहित वाद्य ध्वनि करते हुए कुलदेव की पूजा व अग्रजों का सम्मान करके व ब्राह्मणों को प्रसन्न करके गृह प्रवेश करना चाहिए। गृह प्रवेश के पूर्व वास्तु शांति कराना शुभ होता है। इसके लिए शुभ नक्षत्र वार एवं तिथि इस प्रकार हैं-
शुभ वार- सोमवार, बुधवार, गुरुवार, व शुक्रवार शुभ हैं।
शुभ तिथि- शुक्लपक्ष की द्वितीया, तृतीया, पंचमी, सप्तमी, दशमी, एकादशी, द्वादशी एवं त्रयोदशी।
शुभ नक्षत्र- अश्विनी, पुनर्वसु, पुष्य, हस्त, उत्ताफाल्गुनी, उत्तराषाढ़ा, उत्तराभाद्रपद, रोहिणी, रेवती, श्रवण, धनिष्ठा, शतभिषा, स्वाति, अनुराधा एवं मघा।
अन्य विचार- चंद्रबल, लग्न शुद्धि एवं भद्रादि का विचार कर लेना चाहिए।.........
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