Wednesday, May 11, 2011

जीवन में शांति लाए ये दमदार सूत्र Source: धर्म डेस्क. उज्जैन |

सुख और चैन को पाने की कवायद में जिंदगी भर हर व्यक्ति दिन-रात एक कर देता है। किंतु मानव स्वभाव यह भी होता है कि वह सुख-सुकून तो चाहता है, लेकिन खुद उन बातों को साथ लेकर जीता है, जो जीवन से सुख-चैन छिन लेते हैं। कई अवसरों पर हालात यह होते हैं कि वह दूसरों को भी सुकून से रहने के नुस्खें बताता हुआ देखा जाता है। लेकिन वही तरीके खुद अपनाने में चूक करता रहता है।

प्रश्र यह है कि आख़िर इंसान ऐसा क्या करे कि अशांत व बेचैन मन और जीवन में सुकून बना रहे? इसका उत्तर धर्मशास्त्रों में बताई गई कुछ बेहद सरल बातें हैं, जो व्यावहारिक रूप से कठिन और मात्र शिक्षाप्रद लगती है, किंतु इच्छाशक्ति इनको सरल बना देती हैं -

- किसी व्यक्ति के मन को किसी भी रूप से चोट न पहुंचाए।

- किसी को कटु या कठोर वाणी न बोले यानि शब्द बाण न छोड़ें।

- सबसे अहम बात सत्य या सच बोलने का हरसंभव प्रयास करें। यह व्यक्ति को शांत, संतुलित और निश्चिंत रखने का अचूक उपाय है।

- क्रोध यानि गुस्से पर काबू रखें। दूसरों के आप पर क्रोध करने पर भी शांत रहकर बात या व्यवहार करें।

- दूसरों की निंदा या बुराई करने या सुनने से बचें। अपनी निंदा होने पर उसमें से सकारात्मक बातें ग्रहण करें।

- सुख हो या दु:ख दोनों स्थितियों में समान भाव से रहें। ऐसा करना व्यर्थ की चिंता और बेचैनी को दूर रखेगा।

- खुद को दूसरों से श्रेष्ठ समझ अहं भाव से दूर रहें यानि किसी को कमतर साबित करने की व्यर्थ चेष्टा न करें।

- ऐसी अशुभ बातें न करें जो किसी अवसर विशेष पर दूसरों को गहरा दु:ख, चिंता और अवसाद से भर दे।

- मौन रहने का अभ्यास करें यानि गैर जरूरी बातों या प्रतिक्रिया में अपशब्दों के इस्तेमाल से बचें।

- सहनशील बने। इसके लिए पहले जरूरी है बदले की भावना का त्याग, जो तभी संभव है जब किसी के बुरा करने पर भी क्षमा भाव रख जाए या अभ्यास किया जाए।........


5 अनमोल बातें बनाए हर काम में कुशल और सफल.......

हम अक्सर शास्त्रों, साहित्य या व्यावहारिक बोलचाल में पण्डित शब्द पढ़ते, सुनते और बोलते भी है। सामान्यत: इस शब्द का अर्थ ब्राह्मण जाति के लिए इस्तेमाल किया जाता है, यह व्यावहारिक रूप से पवित्र आचरण, व्यवहार और विचारों की ओर संकेत करता है। किंतु धर्मशास्त्रों में ही पण्डित होने का मूल भाव कुशल चरित्र और व्यक्तित्व से भी जोड़ा गया है।


व्यावहारिक रूप से कुशल होने के अनेक पहलू हो सकते हैं। अक्सर शारीरिक या मानसिक या धनोपार्जन की कुशलता इंसान को पहचान देती है। सांसारिक नजरिए से तो कुशलता के पैमाने और भी हो सकते हैं, किंतु धर्मशास्त्र में लिखी कुछ बातों पर गौर करें तो इंसानी जीवन के व्यवहार, कर्म और विचार से जुडे पांच पैमाने ऐसे हैं, जिनको पूरा करने पर कोई भी इंसान पण्डित या कुशल कहलाता है। चाहे फिर वह किसी भी धर्म या जाति का हो।

डालते हैं एक नजर कुशलता या पण्डित होने से जुड़ी इन पांच बातों पर -

- विनम्रता से सज्जन को अपना बनाना।

- तप से देवकृपा पाना।

- सद्कर्मो या अच्छे व्यवहार से सभी को वशीभूत करना यानी अपना बना लेना।

- धन से जुड़ी जिम्मेदारियों को उठाकर मर्यादाओं के साथ स्त्री को सुरक्षा देना और उसका प्रेम और विश्वास पाना।

- मीठे से बालक को प्रसन्न करना।

ये पांच बातें इंसान के पूरे जीवन से जुड़े अच्छे कर्म, व्यवहार और सोच की ओर संकेत करती हैं। जिनको अपनाकर आप भी जीवन को सही दिशा दे सकते हैं।

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