Thursday, March 13, 2014

दिवाली के लिए कुछ महत्वपूर्ण बातें ======



दिवाली के लिए कुछ महत्वपूर्ण बातें -
- पूजा के स्थान पर मोर-पंख रखने से लक्ष्मी-प्राप्ति में मदद मिलती है.
- तुलसी के पौधे के आगे शाम को दिया जलाने से लक्ष्मी वृद्दि में मदद मिलती है; 

पर लक्ष्मीजी को कभी तुलसीजी नहीं चढाई जाती, उनको कमल चढाया जाता है |
- आवले के उबटन से स्नान करने से लक्ष्मी प्राप्ति होती है
- मिट्टी के कोरे दीयों में कभी भी तेल घी नहीं डालना चाहिए। दीये 6 घंटे पानी में 

भिगोकर रखें, फिर इस्तेमाल करें। नासमझ लोग कोरे दीये में घी डालकर बिगाड़ करते हैं।
- दीपावली के दिन लौंग और इलाइची को जलाकर राख कर दें; उस से भगवान् और 

गुरु को तिलक करें; लक्ष्मी-प्राप्ति में मदद मिलती है |
- दीवाली के दिनों मे घर के मुख्य दरवाजे पर हल्दी और चावल की पावडर से ओमकार

 और स्वास्तिक बनाये। घर मे निरोगता और प्रसन्नता रहेगी|
- दीपावली, जन्म-दिवस, और नूतन वर्ष के दिन, प्रयत्न-पूर्वक सत्संग सुनना चाहिए |
- दीपावली की रात का जप हज़ार गुना फल-दाई होता है; ४ महा-रात्रियाँ हैं - दिवाली,

 शिवरात्रि, होली, जन्माष्टमी - यह सिद्ध रात्रियाँ हैं, इन रात्रियों का अधिक से अधिक जप

 कर के लाभ लेना चाहिए |
- दीपावली के अगले दिन , नूतन वर्ष होता है, उस दिन, सुबह उठ कर थोडी देर शांत बैठ

 जाएँ; फिर, अपने दोनों हाथों को देख कर यह प्रार्थना करें:
कराग्रे वसते लक्ष्मी, कर-मध्ये च सरस्वती,
कर-मूले तू गोविन्दः, प्रभाते कर दर्शनं ||
अर्थात, मेरे हाथों के अग्र भाग में लक्ष्मी जी का वास है, मेरे हाथों के मध्य भाग में सरस्वती जी हैं; 

मेरे हाथों के मूल में गोविन्द हैं, इस भाव से अपने दोनों हाथों के दर्शन करता हूँ...
फिर, जो नथुना चलता हो, वही पैर धरती पर पहले रखें; दाँया चलता हो, तो ३ कदम आगे बढायें,

 दांए पैर से ही | बाँया चलता हो, तो ४ कदम आगे बढायें, बाँए पैर से ही |
- नूतन वर्ष के दिन जो व्यक्ति हर्ष और आनंद से बिताता है, उसका पूरा वर्ष हर्ष और आनंद से जाता है।
- वर्ष के प्रथम दिन आसोपाल (अशोक के पत्ते ) के और नीम के पत्तों का तोरण लगायें और 

वहां से गुजरें तो वर्षभर खुशहाली और निरोगता रहेगी
- दीपावली के दिन रात भर घी का दिया जले सूर्योदय तक, तो बड़ा शुभ माना जाता है |
- दिवाली की रात को चाँदी की छोटी कटोरी या दिए में कपूर जलने से दैहिक दैविक और 

भौतिक कष्टों से मुक्ति होती है|
- हर अमावस्या को (और दिवाली को भी) पीपल के पेड़ के नीचे दिया जलाने से पितृ और 

देवता प्रसन्न होते हैं, और अच्छी आत्माएं घर में जनम लेती हैं |
- दीपावली की शाम को अशोक वृक्ष के नीचे घी का दिया जलायें, तो बहुत शुभ माना जाता है |
- दिवाली की रात गणेशजी को लक्ष्मी जी के बाएं रख कर पूजा की जाये तो कष्ट दूर होते हैं |
- दिवाली के दिनों में अपने घर के बाहर सरसों के तेल का दिया जला देना, इससे गृहलक्ष्मी बढ़ती हैं ।
- दिवाली की रात प्रसन्नतापूर्वक सोना चाहिये ।
- थोड़ी खीर कटोरी में डाल के और नारियल लेकर के घूमना और मन में "लक्ष्मी- नारायण" 

जप करना और खीर ऐसी जगह रखना जहाँ किसी का पैर ना पड़े और गायें, कौए आदि खा 

जाएँ और नारियल अपने घर के मुख्य द्वार पर फोड़ देना और इसकी प्रसादी बाँटना । इससे 

घर में आनंद और सुख -शांति रहेगी ।
- दीपावली की रात मुख्य दरवाजे के बाहर दोनों तरफ १-१ दिया गेहूँ के ढेर पे जलाएं और 

कोशिश करें की दिया पूरी रात जले| आपके घर सुख समृद्धि की वृद्धि होगी|
- दिवाली के दिन अगर घर के लोग मिलकर 5-5 आहुति डालते हैं तो घर में सुख सम्पदा 

रहेगी । लक्ष्मी का निवास स्थाई रहेगा ।
- दिवाली के दिनों में चौमुखी दिया जलाकर चौराहे पर रख दिया जाए, चारों तरफ, 

वो शुभ माना जाता है ।
- नूतन वर्ष के दिन (दीपावली के अगले दिन) गाय के खुर की मिट्टी से, अथवा तुलसीजी 

की मिट्टी से तिलक करें, सुख-शान्ति में बरकत होगी|
- दिवाली के दिन सरसों के तेल का या शुध्द घी का दिया जलाकर काजल बना लें.ये काजल

 लगाने से बुरी और नकारात्मक शक्तियों और बुरी नजर से भी रक्षा होती है और आँखों की 

बीमारियाँ समाप्त होती है। नेत्र ज्योति बढ़ती है और सभी बाधाएं दूर होती है।


शुभ लाभ -
- लक्ष्मी जी की पूजा करते समय उनके दोनों ओर शुभ- लाभ अवश्य लिखते है. इसका अर्थ है जो 

भी धन कमाया जाए वह अच्छे तरीके से कमाया हो और अच्छे कार्यों में उपयोग हो.
- लक्ष्मीजी की पूजा अकेले नहीं की जाती. इसका अर्थ है सिर्फ धन कमाना ही जीवन का उद्देश्य नहीं होता .
 उसके साथ धर्म अर्थात नारायण हो. गणेश जी अर्थात सद्बुद्धि हो और सरस्वतीजी यानी विद्या का भी साथ हो. 
तभी यह धन कल्याणकारी होता है अन्यथा पतन के मार्ग पर ले जाता है.
- जो धन सदुपयोग में लगता है वहीँ सुलक्ष्मी है.
- धन कमाने के लिए विद्या और उद्यमिता दोनों आवश्यक है.
- धर्म, विद्या और सद्बुद्धि के साथ वह धन स्थाई होता है.
- लक्ष्मीजी हमेशा कमलासीन होती है , उन्हें कमल पुष्प प्रिय है. इसका अर्थ है विपरीत परिस्थितियों यानी कीचड
 में भी जो खिला रहे और जिस प्रकार पानी में रह कर भी कमल के पुष्प पर पानी की बूंदे ठहर नहीं पाती वैसे ही हम
 भी जीवन के सुख दुःख से प्रभावित ना हो - ऐसा कमल हमारा जीवन बने.
- इसी के साथ आप सबके जीवन में लक्ष्मी जी शुभ -लाभ, धर्म , सद्बुद्धि और विद्या ले कर आये यहीं मंगल कामना ....
शुभ दीपावली .

हनुमानजी की पूजा से दुर्भाग्य भी सौभाग्य में बदलने वाले 15 उपाय===


हिन्दू देव पूजा परंपराओं में रुद्र अवतार हनुमानजी की उपासना मानसिक, शारीरिक, आध्यात्मिक शक्तियां व ऊर्जा देने वाली मानी गई है। इसी आस्था से श्रीहनुमान कई रूपों में पूजनीय है। ये रूप उनके चरित्र की पावनता, दृढ़ता, शक्तियों और खूबियों को उजागर करते हैं। भक्त, दास हो या वीर, हर रूप में हनुमानजी एक गुण विशेष से सफलता की प्रेरणा देते हैं। रामभक्त व भक्तवत्सल (भक्तों से स्नेह रखने वाले) हनुमानजी से काम में लगन और समर्पण, दास हनुमान में विनम्रता और वीर हनुमान में पुरुषार्थ, बल, निडरता के गुण सुनिश्चित कामयाबी के अहम सूत्र हैं।



पौराणिक प्रसंगों के मुताबिक शनि को दण्डाधिकारी बनाने वाले रुद्र यानी शिव का अवतार होने के साथ ही हनुमानजी देवी के भी सेवक बताए गए हैं, इसलिए शिव व शक्ति की भक्ति के शुभ दिनों में हनुमानजी की उपासना धन व भाग्य की तमाम मुश्किलें दूर करने वाली बताई गई हैं। वहीं, शनि की क्रूर दृष्टि के अशुभ प्रभावों को बेअसर करने में भी श्रीहनुमान पूजा असरदार होती है।

पूजा परंपराओं में शक्ति स्वरूपा महालक्ष्मी की ही उपासना का शुभ दिन पूर्णिमा तिथि (16 मार्च) भी है। इसके साथ ही चंद्रदर्शन का खास महत्व भी है। इस दिन देवी लक्ष्मी की उपासना दरिद्रता का नाश कर वैभव संपन्न बनाती है। दरअसल, लक्ष्मी कृपा देने वाले पूर्णिमा के चंद्रमा की दो खासियत लक्ष्मी कृपा के सूत्र भी उजागर करती है। इसकी रोशनी रोशनी यानी प्रकाश, ज्ञान स्वरूप माना गया है और शीतल यानी अहंकार से परे विनम्रता। इन 2 गुणों से संपन्न चरित्र से देवी लक्ष्मी हमेशा प्रसन्न होती हैं। भगवान विष्णु का लक्ष्मीपति होना भी इसका प्रतीक है।
पूर्णिमा की ही शुभ तिथि, लक्ष्मी कृपा देने वाले ऐसे गुणों से ही संपन्न भगवान विष्णु के ही अवतार श्रीराम के परम भक्त हनुमानजी की उपासना का भी शुभ दिन है, क्योंकि शास्त्रों के मुताबिक हनुमानजी की जन्मतिथि पूर्णिमा (चैत्र पूर्णिमा) ही बताई गई है।
कल शनिवार के अलावा 16 को पूर्णिमा तिथि का ही योग बनेगा, इसलिए हर पूर्णिमा तिथि के अलावा ऐसे ही शुभ योगों  
 में हनुमानजी की पूजा  के 15 अचूक व शास्त्रोक्त उपाय न केवल लक्ष्मी कृपा बरसाकर दुर्भाग्य को भी सौभाग्य में बदलने वाले, बल्कि शनि दोष से आने वाली परेशानियों से निपटने का सरल उपाय भी माने गए हैं-  


ये सारे या इनमें से कोई भी उपाय मंगलवार, शनिवार या संभव हो तो हर रोज भी करें, तो कार्य व कामनासिद्धी होती है।


- हनुमानजी अखण्ड ब्रह्मचारी व महायोगी भी हैं, इसलिए सबसे जरूरी है कि उनकी किसी भी तरह की उपासना में वस्त्र से लेकर विचारों तक पावनता, ब्रह्मचर्य व इंद्रिय संयम को अपनाएं।
- इसी पवित्रता का ध्यान रखते हुए हनुमानजी की उपासना के लिए भक्त सवेरे तीर्थजल से स्नान कर यथासंभव स्वच्छ व लाल कपड़े पहने। पूजा के लिए लाल आसन पर उत्तर दिशा की तरफ मुंह रख बैठे। वहीं, हनुमानजी की मूर्ति या फिर तस्वीर सामने रखे यानी उनका मुखारविन्द दक्षिण दिशा की तरफ रखे।
- शास्त्रों में हनुमानजी की भक्ति तंत्र मार्ग व सात्विक मार्ग दोनों ही तरह से बताई गई है। इसके लिए मंत्र जप भी प्रभावी माने गए हैं। भक्त जो भी तरीका अपनाए, किंतु यह बात ध्यान रखे कि मंत्र जप के दौरान उसकी आंखे हनुमानजी के नेत्रों पर टिकी रहें। यही नहीं, सात्विक तरीकों से कामनापूर्ति के लिए मंत्र जप रुद्राक्ष माला से और तंत्र मार्ग से लक्ष्य पूरा करने के लिए मूंगे की माला से मंत्र जप बड़े ही असरदार होते हैं। 
- शनिवार व पूर्णिमा को हनुमानजी को तिल का तेल मिले सिंदूर से चोला चढ़ाने से सारी भय, बाधा और मुसीबतों का अंत हो जाता है। चोला चढ़ाते वक्त इस मंत्र का स्मरण करें -
सिन्दूरं शोभनं रक्तं सौभाग्यसुखवर्द्धनम्।
शुभदं चैव माङ्गल्यं सिन्दूरं प्रतिगृह्यताम्।।
- शनिवार व पूर्णिमा तिथि पर हनुमानजी को लाल या पीले फूल जैसे कमल, गुलाब, गेंदा या सूर्यमुखी चढ़ाने से सारे वैभव व सुख प्राप्त होते हैं। हनुमानजी को आंकडे के फूल चढ़ाना भी हर कामना सिद्ध करता है।
- मनचाही मुराद पूरी करने के लिए सिंदूर लगे एक नारियल पर मौली या कलेवा लपेटकर हनुमानजी के चरणों में अर्पित करें। नारियल को चढ़ाते समय श्री हनुमान चालीसा की इस चौपाई का पाठ मन ही मन करें-
“नासै रोग हरे सब पीड़ा, जो सुमिरै हनुमत बलबीरा।“
- हनुमानजी को घिसे लाल चंदन में केसर मिलाकर लगाने से अशांति और कलह दूर हो जाते हैं।
- हनुमानजी को नैवेद्य चढ़ाने के लिए भी शास्त्रों में अलग-अलग वक्त पर विशेष नियम बताए गए हैं। इनके मुताबिक सवेरे हनुमानजी को नारियल का गोला या गुड़ या गुड़ से बने लड्डू का भोग लगाना चाहिए।
इसी तरह दोपहर में हनुमान की पूजा में घी और गुड़ या फिर गेहूं की मोटी रोटी बनाकर उसमें ये दोनों चीजें मिलाकर बनाया चूरमा अर्पित करना चाहिए। वहीं, शाम या रात के वक्त हनुमानजी को विशेष तौर पर फल का नैवेद्य चढ़ाना चाहिए। हनुमानजी को जामफल, केले, अनार या आम के फल बहुत प्रिय बताए गए हैं।
हनुमानजी को ऐसे मीठे फल व नैवेद्य अर्पित करने वाले की दु:ख व असफलताओं की कड़वाहट दूर होती है और वह सुख व सफलता का स्वाद चखता है।
- इन तीनों विशेष काल के अलावा जब भी हनुमानजी को, जो भी नैवेद्य चढ़ावें तो यथासंभव उसमें गाय का शुद्ध घी या उससे बने पकवान जरूर शामिल करें। साथ ही यह भी जरूरी है कि भक्त स्वयं भी उसे ग्रहण करे।  
- शाम के वक्त हनुमानजी को लाल फूलों के साथ जनेऊ, सुपारी अर्पित करें और उनके सामने चमेली के तेल का पांच बत्तियों का दीपक नीचे लिखे मंत्र के साथ लगाएं-
साज्यं च वर्तिसं युक्त वह्निनां योजितं मया।
दीपं गृहाण देवेश प्रसीद परमेश्वर।
यह उपाय किसी भी विघ्र-बाधा को फौरन दूर करने वाला माना जाता है।
-  धार्मिक आस्था है कि हनुमानजी की अलग-अलग स्वरूप की मूर्ति की उपासना विशेष कामनाओं को पूरा करती है, इसलिए हनुमानजी के मंत्र जप या किसी भी रूप में इस तरह भक्ति करें कि अगर नेत्र भी बंद करें, तो हनुमानजी का वहीं स्वरूप नजर आए। यानी हनुमानजी की भक्ति पूरी सेवा भावना, श्रद्धा व आस्था में डूबकर करें।
- रुद्र अवतार श्रीहनुमान की उपासना बल, बुद्धि के साथ संपन्न भी बनाने वाली मानी गई है। शास्त्रों में श्रीहनुमान को विलक्षण सिद्धियों व 9 निधियों का स्वामी भी बताया गया है, जो उनको पवित्र भावों से की प्रभु राम व माता सीता की सेवा व भक्ति द्वारा ही प्राप्त हुई, इसलिए सोमवार-पूर्णिमा तिथि के योग में हनुमान के साथ श्रीराम-जानकी की मूर्ति रख उपासना करें और इस मंत्र का स्मरण कर सुख-सफलता व समृद्धि की कामना पूरी करें-
मनोजवं मारुततुल्यं वेगं जितेन्द्रियं बुद्धिमतां वरिष्ठम्।
वातात्मजं वानरयूथमुख्यं श्रीरामदूतं शरणं प्रपद्ये।। 
श्रीहनुमान चालीसा या इसकी एक भी चौपाई का पाठ हनुमान कृपा पाने का सबसे सहज और प्रभावी उपाय माना जाता है, इसलिए जब भी घर से बाहर निकलें तो श्रीहनुमान चालीसा की इस चौपाई का स्मरण कर निकलें- 
जै जै जै हनुमान गोसाईं, कृपा करहु गुरुदेव की नाई। 
इस हनुमान चालीसा के स्मरण भर से बाहर न केवल अनहोनी से बचाता है, बल्कि मनचाहे काम व लक्ष्य भी पूरा करता है। 
- हनुमानजी शिव के अवतार हैं और शनिदेव परम शिव भक्त और सेवक हैं, इसलिए शनिवार व पूर्णिमा पर शनि दशा या अन्य ग्रहदोष से आ रही कई परेशानियों और बाधाओं से फौरन निजात पाने के लिए श्रीहनुमान चालीसा, बजरंगबाण, हनुमान अष्टक का पाठ करें। श्रीहनुमान की गुण, शक्तियों की महिमा से भरे मंगलकारी सुन्दरकाण्ड का परिजनों या इष्टमित्रों के साथ शिवालय में पाठ करें।
यह भी संभव न हो तो शिव मंदिर में हनुमान मंत्र  'हं हनुमते रुद्रात्मकाय हुं फट्' का रुद्राक्ष माला से जप करें या फिर सिंदूर चढ़े दक्षिणामुखी या पंचमुखी हनुमान के दर्शन कर चरणों में नारियल चढ़ाकर उनके चरणों का सिंदूर मस्तक पर लगाएं। इससे ग्रहपीड़ा या शनिपीड़ा का अंत होता है। 
हनुमानजी की भक्ति नई उमंग, उत्साह, ऊर्जा व आशाओं के साथ असफलताओं व निराशा के अंधेरों से निकल नए लक्ष्यों और सफलता की ओर बढऩे की प्रेरणा देती है। लक्ष्यों को भेदने के लिए इस दिन अगर शास्त्रों में बताए श्रीहनुमान चरित्र के अलग-अलग 12 स्वरूपों का ध्यान एक खास मंत्र स्तुति से किया जाए तो आने वाला वक्त बहुत ही शुभ व मंगलकारी साबित हो सकता है। इसे शनिवार, पूर्णिमा के अलावा हर रोज भी सुबह या रात को सोने से पहले स्मरण करना न चूकें –
हनुमानञ्जनी सूनुर्वायुपुत्रो महाबल:। 
रामेष्ट: फाल्गुनसख: पिङ्गाक्षोमितविक्रम:।।
उदधिक्रमणश्चैव सीताशोकविनाशन:।
लक्ष्मणप्राणदाता च दशग्रीवस्य दर्पहा।।
एवं द्वादश नामानि कपीन्द्रस्य महात्मन:।
स्वापकाले प्रबोधे च यात्राकाले च य: पठेत्।।
तस्य सर्वभयं नास्ति रणे च विजयी भवेत्।।
इस खास मंत्र स्तुति में श्रीहनुमान के 12 नाम उनके गुण व शक्तियों को भी उजागर करते हैं। ये नाम है - हनुमान, अञ्जनी सूनु, वायुपुत्र, महाबल, रामेष्ट यानी श्रीराम के प्यारे, फाल्गुनसख यानी अर्जुन के साथी, पिंङ्गाक्ष यानी भूरे नयन वाले, अमित विक्रम, उदधिक्रमण यानी समुद्र पार करने वाले, सीताशोकविनाशक, लक्ष्मणप्राणदाता और दशग्रीवदर्पहा यानी रावण के दंभ को चूर करने वाले।
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होली के दिन  हनुमानजी की कृपा पाने के ये अचूक उपाय है======

फाल्गुन मास की पूर्णिमा को होली जलाई जाती है। इस दिन महिलाएं शाम के समय होली का पूजन करती हैं और सुख-समृद्धि की कामना करती हैं। इस बार होली का पर्व 16 मार्च, रविवार को है। तंत्र शास्त्र के अनुसार होली के दिन कुछ खास उपाय करने से मनचाहा काम हो जाता है। तंत्र क्रियाओं के लिए प्रमुख चार रात्रियों में से एक रात ये भी है।
चूंकि ये पर्व पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। इसलिए इस दिन हनुमानजी को प्रसन्न करने वाले टोटके विशेष रूप से किए जाते हैं। इस दिन हनुमानजी को तांत्रिक विधि से चोला चढ़ाने से हर बिगड़ा काम बन जाता है और साधक पर हनुमानजी की विशेष कृपा होती है। जानिए होली के दिन हनुमानजी को किस प्रकार चोला चढ़ाना चाहिए-
एेसे चढ़ाएं चोला
हनुमानजी को चोला चढ़ाने से पहले स्वयं स्नान कर शुद्ध हो जाएं और साफ वस्त्र धारण करें। सिर्फ लाल रंग की धोती पहने तो और भी अच्छा रहेगा। चोला चढ़ाने के लिए चमेली के तेल का उपयोग करें। साथ ही चोला चढ़ाते समय एक दीपक हनुमानजी के सामने जला कर रख दें। दीपक में भी चमेली के तेल का ही उपयोग करें।
चोला चढ़ाने के बाद हनुमानजी को गुलाब के फूल की माला पहनाएं और केवड़े का इत्र हनुमानजी की मूर्ति के दोनों कंधों पर थोड़ा-थोड़ा छिटक दें। अब एक साबूत पान का पत्ता लें और इसके ऊपर थोड़ा गुड़ व चना रख कर हनुमानजी को भोग लगाएं। भोग लगाने के बाद उसी स्थान पर थोड़ी देर बैठकर तुलसी की माला से नीचे लिखे मंत्र का जप करें। कम से कम 5 माला जप अवश्य करें।
मंत्र- 
राम रामेति रामेति रमे रामे मनोरमे।
सहस्त्र नाम तत्तुन्यं राम नाम वरानने।।
अब हनुमानजी को चढ़ाए गए गुलाब के फूल की माला से एक फूल तोड़ कर, उसे एक लाल कपड़े में लपेटकर अपने धन स्थान यानी तिजोरी में रखें। आपको कभी धन की कमी नहीं होगी।
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1- होली के दिन हनुमानजी को एक विशेष पान अर्पित करें। इस पान में केवल कत्था, गुलकंद, सौंफ, खोपरे का बुरा और सुमन कतरी डलवाएं। पान बनवाते समय इस बात का ध्यान रखें कि उसमें चूना एवं सुपारी नही हो। इस पान में तंबाकू भी नहीं होनी चाहिए। हनुमानजी का विधि-विधान से पूजन करने के बाद यह पान हनुमानजी को यह बोलकर अर्पण करें- हे हनुमानजी। आपको मैं यह मीठा रस भरा पान अर्पण कर रहा हूूं। आप भी मेरा जीवन मिठास से भर दीजिए। हनुमानजी की कृपा से कुछ ही दिनों में आपकी हर समस्या दूर हो जाएगी।


2- होली के दिन सुबह स्नान करने के बाद बड़ के पेड़ का एक पत्ता तोड़ें और इसे साफ स्वच्छ पानी से धो लें। अब इस पत्ते को कुछ देर हनुमानजी की प्रतिमा के सामने रखें और इसके बाद इस पर केसर से श्रीराम लिखें। अब इस पत्ते को अपने पर्स में रख लें। साल भर आपका पर्स पैसों से भरा रहेगा। अगली होली पर इस पत्ते को किसी नदी में प्रवाहित कर दें और इसी प्रकार से एक और पत्ता अभिमंत्रित कर अपने पर्स में रख लें।
3- अगर आप शनि दोष से पीडि़त हैं, तो होली के दिन एक काला कपड़ा लें और इसमें थोड़ी काली उड़द की दाल व कोयला डालकर एक पोटली बना लें। इसमें एक रुपए का सिक्का भी रखें। इसके बाद इस पोटली को अपने ऊपर से उसार कर किसी नदी में प्रवाहित कर दें और फिर किसी हनुमान मंदिर में जाकर राम नाम का जप करें। इससे शनि दोष का प्रभाव कम हो जाएगा।
4- होली के दिन किसी हनुमान मंदिर जाएं और राम रक्षा स्त्रोत का पाठ करें। इसके बाद हनुमानजी को गुड़ और चने का भोग लगाएं। जीवन में यदि कोई समस्या है, तो उसका निवारण करने के लिए प्रार्थना करें।
5- होली के दिन सुबह स्नान आदि करने के बाद किसी हनुमान मंदिर में जाकर 21 बार हनुमान चालीसा का पाठ करें। साथ ही हनुमान भक्तों को हनुमान चालीसा पुस्तक का वितरण भी करें। 21, 51 या श्रृद्धा के अनुसार इससे ज्यादा पुस्तक का वितरण भी कर सकते हैं। इससे हनुमानजी की कृपा आप पर बनी रहेगी।

6- होली के दिन शाम के समय समीप स्थित किसी हनुमान मंदिर में जाएं और हनुमानजी की प्रतिमा के सामने एक सरसों के तेल का व एक शुद्ध घी का दीपक जलाएं। इसके बाद वहीं बैठकर हनुमान चालीसा का पाठ करें। हनुमानजी की कृपा पाने का ये एक अचूक उपाय है।
7- होली के दिन पास ही स्थित हनुमानजी के किसी मंदिर में जाएं और हनुमानजी को सिंदूर व चमेली का तेल अर्पित करें और अपनी मनोकामना कहें। इससे हनुमानजी प्रसन्न होते हैं और भक्त की हर मनोकामना पूरी करते हैं।
8- होली के दिन शाम के समय हनुमानजी को केवड़े का इत्र व गुलाब की माला चढ़ाएं। हनुमानजी को प्रसन्न करने का ये बहुत ही अचूक उपाय है। इस उपाय से हर मनोकामना पूरी हो जाती है।

9- होली के दिन सुबह स्नान आदि करने के बाद बड़ के पेड़ से 11 या 21 पत्ते तोड़े लें। ध्यान रखें कि ये पत्ते पूरी तरह से साफ व साबूत हों। अब इन्हें स्वच्छ पानी से धो लें और इनके ऊपर चंदन से भगवान श्रीराम का नाम लिखें। अब इन पत्तों की एक माला बनाएं। माला बनाने के लिए पूजा में उपयोग किए जाने वाले रंगीन धागे का इस्तेमाल करें। अब समीप स्थित किसी हनुमान मंदिर जाएं और हनुमान प्रतिमा को यह माला पहना दें। हनुमानजी को प्रसन्न करने का यह बहुत प्राचीन टोटका है।
10- यदि आप पर कोई संकट है, तो होली के दिन नीचे लिखे हनुमान मंत्र का विधि-विधान से जप करें।
मंत्र 
ऊँ नमो हनुमते रूद्रावताराय सर्वशत्रुसंहारणाय सर्वरोग हराय सर्ववशीकरणाय रामदूताय स्वाहा
जप विधि
- सुबह जल्दी उठकर सर्वप्रथम स्नान आदि नित्य कर्म से निवृत्त होकर साफ  वस्त्र पहनें। इसके बाद अपने माता-पिता, गुरु, इष्ट व कुलदेवता को नमन कर कुश (एक प्रकार की घास) के आसन पर बैठें। पारद हनुमान प्रतिमा के सामने इस मंत्र का जप करेंगे, तो विशेष फल मिलता है। जप के लिए लाल हकीक की माला का प्रयोग करें।

11- होली के दिन तेल, बेसन और उड़द के आटे से बनाई हुई हनुमानजी की मूर्ति की प्राण-प्रतिष्ठा करके तेल और घी का दीपक जलाएं तथा विधिवत पूजन कर पूआ, मिठाई आदि का भोग लगाएं। इसके बाद 27 पान के पत्ते तथा सुपारी आदि मुख शुद्धि की चीजें लेकर इनका बीड़ा बनाकर हनुमानजी को अर्पित करें। इसके बाद इस मंत्र का जप करें-

मंत्र- नमो भगवते आंजनेयाय महाबलाय स्वाहा।

फिर आरती, स्तुति करके अपने इच्छा बताएं और प्रार्थना करके इस मूर्ति को विसर्जित कर दें। इसके बाद किसी योग्य ब्राह्मण को भोजन कराकर व दान देकर ससम्मान विदा करें।
यह टोटका करने से शीघ्र ही आपकी मनोकामना पूरी होगी।

12- होली के दिन घर में पारद से निर्मित हनुमानजी की प्रतिमा स्थापित करें। पारद को रसराज कहा जाता है। तंत्र शास्त्र के अनुसार पारद से बनी हनुमान प्रतिमा की पूजा करने से बिगड़े काम भी बन जाते हैं। पारद से निर्मित हनुमान प्रतिमा को घर में रखने से सभी प्रकार के वास्तु दोष स्वत: ही दूर हो जाते हैं, साथ ही घर का वातावरण भी शुद्ध होता है। 
प्रतिदिन इसकी पूजा करने से किसी भी प्रकार के तंत्र का असर घर में नहीं होता और न ही साधक पर किसी तंत्र क्रिया का प्रभाव पड़ता है। यदि किसी को पितृदोष हो, तो उसे प्रतिदिन पारद हनुमान प्रतिमा की पूजा करनी चाहिए। इससे पितृदोष समाप्त हो जाता है।
13- होली के दिन चांदी से निर्मित हनुमान प्रतिमा का पूजन करें। इसके बाद इस प्रतिमा को एक अन्य बर्तन में स्थापित कर इस पर धीरे-धीरे चम्मच से पानी डालते रहें। साथ ही ऊँ हं हनुमतये नम: मंत्र का जप भी करते रहें। अब इस पानी को किसी साफ बोतल में भरकर रख लें। जब भी परिवार में कोई बीमार हो, तो उसे यह पानी थोड़ा-थोड़ा पिलाते रहें। इससे रोगी जल्दी ठीक हो जाएगा। साथ ही डॉक्टरी उपचार भी अवश्य करवाएं।
14- होली के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करने के बाद किसी शांत एवं एकांत कमरे में पूर्व दिशा की ओर मुख करके लाल आसन पर बैठें। स्वयं लाल या पीली धोती पहनें। अपने सामने चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर हनुमानजी की मूर्ति स्थापित करें। चित्र के सामने तांबे की प्लेट में लाल रंग के फूल का आसन देकर श्रीहनुमान यंत्र को स्थापित करें। यंत्र पर सिंदूर से टीका करें और लाल फूल चढ़ाएं। मूर्ति तथा यंत्र पर सिंदूर लगाने के बाद धूप, दीप, चावल, फूल व प्रसाद आदि से पूजन करें। सरसों या तिल के तेल का दीपक एवं धूप जलाएं-
ध्यान- दोनों हाथ जोड़कर हनुमानजी का ध्यान करें-
ऊँ रामभक्ताय नम:। ऊँ महातेजसे नम:।
ऊं कपिराजाय नम:। ऊँ महाबलाय नम:।
ऊँ दोणाद्रिहराय नम:। ऊँ सीताशोक हराय नम:।
ऊँ दक्षिणाशाभास्कराय नम:। ऊँ सर्व विघ्न हराय नम:।

आह्वान- हाथ जोड़कर हनुमानजी का आह्वान करें-
हेमकूटगिरिप्रान्त जनानां गिरिसामुगाम्।
पम्पावाहथाम्यस्यां नद्यां ह्रद्यां प्रत्यनत:।।

विनियोग- दाएं हाथ में आचमनी में या चम्मच में जल भरकर यह विनियोग करें-
अस्य श्रीहनुमन्महामन्त्रराजस्य श्रीरामचंद्र ऋषि: जगतीच्छन्द:, श्रीहनुमान, देवता, ह् सौं बीजं, हस्फ्रें शक्ति: श्रीहनुमत् प्रसादसिद्धये जपे विनियोग:।
अब जल छोड़ दें।
इस प्रकार श्रीहनुमान यंत्र की पूजा से सभी मनोकामना पूरी होती हैं।

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Saturday, August 10, 2013

निर्वाण षडकम / मृदुल कीर्ति (रचनाकार)


निर्वाण षडकम / मृदुल कीर्ति


निर्वाण षडकम    ( रचनाकार: मृदुल कीर्ति ) 

श्री आदि शंकराचार्य द्वारा विरचित


मनो-बुद्धि-अहंकार चित्तादि नाहं ,
न च श्रोत्र-जिह्वे न च घ्राण-नेत्रे ।
न च व्योम-भूमी न तेजो न वायु ,
चिदानंद-रूपं शिवो-हं शिवो-हं ॥ १॥


मैं मन, बुद्धि, न चित्त अहंता, न मैं धरनि न व्योम अनंता.
मैं जिव्हा ना, श्रोत, न वयना, न ही नासिका ना मैं नयना .
मैं ना अनिल, न अनल सरूपा, मैं तो ब्रह्म रूप, तदरूपा .
चिदानंदमय ब्रह्म सरूपा, मैं शिव-रूपा, मैं शिव-रूपा ॥१॥


न च प्राण-संज्ञो न वै पञ्च-वायु:,
न वा सप्त-धातुर्न वा पञ्च-कोष: ।
न वाक्-पाणी-पादौ न चोपस्थ पायु:
चिदानंद-रूपं शिवो-हं शिवो-हं ॥ २ ॥


न गतिशील, न प्राण आधारा, न मैं वायु पांच प्रकारा.
सप्त धातु , पद, पाणि न संगा, अन्तरंग न ही पाँचों अंगा.
पंचकोष ना , वाणी रूपा, मैं तो ब्रह्म रूप, तदरूपा
चिदानंदमय ब्रह्म सरूपा, मैं शिव-रूपा, मैं शिव-रूपा ॥२॥


न मे द्वेष-रागौ न मे लोभ-मोहौ,
मदे नैव मे नैव मात्सर्य-भाव: .
न धर्मो न चार्थो न कामो न मोक्ष:
चिदानंद-रूपं शिवो-हं शिवो-हं .. ॥ ३ ॥


ना मैं राग, न द्वेष, न नेहा, ना मैं लोभ, मोह, मन मोहा.
मद-मत्सर ना अहम् विकारा, ना मैं, ना मेरो ममकारा
काम, धर्म, धन मोक्ष न रूपा, मैं तो ब्रह्म रूप तदरूपा,
चिदानंदमय ब्रह्म सरूपा, मैं शिव-रूपा, मैं शिव-रूपा ॥३॥


न पुण्यं न पापं न सौख्यं न दु:खं ,
न मंत्रो न तीर्थं न वेदा न यज्ञा: ।
अहं भोजनं नैव भोज्यं न भोक्ता,
चिदानंद-रूपं शिवो-हं शिवो-हं ॥ ४ ॥


ना मैं पुण्य न पाप न कोई, ना मैं सुख-दुःख जड़ता जोई.
ना मैं तीर्थ, मन्त्र, श्रुति, यज्ञाः, ब्रह्म लीन मैं ब्रह्म की प्रज्ञा.
भोक्ता, भोजन, भोज्य न रूपा, मैं तो ब्रह्म रूप तदरूपा.
चिदानंदमय ब्रह्म सरूपा, मैं शिव-रूपा,, मैं शिव रूपा ॥४॥


न मे मृत्यु न मे जातिभेद:,
पिता नैव मे नैव माता न जन्मो ।
न बन्धुर्न मित्र: गुरुर्नैव शिष्य:
चिदानंद-रूपं शिवो-हं शिवो-हं ॥ ५॥


ना मैं मरण भीत भय भीता, ना मैं जनम लेत ना जीता.
मैं पितु, मातु, गुरु, ना मीता. ना मैं जाति-भेद कहूँ कीता.
ना मैं मित्र बन्धु अपि रूपा, मैं तो ब्रह्म रूप तदरूपा.
चिदानंदमय ब्रह्म सरूपा, मैं शिव-रूपा, मैं शिव-रूपा ॥५॥


अहं निर्विकल्पो निराकार रूपो,
विभुत्त्वाच्च सर्वत्र सर्वेन्द्रियाणां ।
सदा मे समत्त्वं न मुक्तिर्न बंध:
चिदानंद रूपं शिवो-हं शिवो-हं ..॥ ६॥


निर्विकल्प आकार विहीना, मुक्ति, बंध- बंधन सों हीना.
मैं तो परमब्रह्म अविनाशी, परे, परात्पर परम प्रकाशी.
व्यापक विभु मैं ब्रह्म अरूपा, मैं तो ब्रह्म रूप तदरूपा.
चिदानंदमय ब्रह्म सरूपा, मैं शिव-रूपा, मैं शिव-रूपा ॥६॥

Monday, June 17, 2013

वैज्ञानिक पूजा पद्धति --
हमारी पूजा विधि में जो भी क्रिया कलाप है वे भगवान् को प्रसन्न करने के लिए कम और हमारी भलाई के लिए अधिक है.इन्हें रोज़ नियमित रूप से करने से हमारे स्वास्थ्य , वातावरण और संबंधों पर सकारात्मक असर होते है .
- धुप में आरोग्यदायक जड़ी बूटियाँ होती है. इसका धूंआ वातावरण को शुद्ध करता है. नकारात्मकता को घटाता है.
- दीप जो सरसों , तिल या घी से जलाया जाता है हवा को शुद्ध करता है. इस पर किया जाने वाला त्राटक शरीर के साथ आध्यात्मिक उन्नति में सहायक है.
- नैवेद्य - उच्च और शुद्ध भावना के साथ बनाया जाने वाला भोजन शारीरिक , मानसिक और बौद्धिक विकास में सहायक होता है.
- प्रदक्षिणा - गोल घुमने से प्राण शक्ति का विकास होता है.
- नमस्कार - दोनों हाथ जोड़ने से सुषुम्ना नाडी कार्यरत होती है. सर धरती से टिकाने से धरती की शक्ति प्राप्त होती है. साष्टांग प्रणाम में सम्पूर्ण शरीर धरती के संपर्क में आता है.
- पूजा में चढ़ाए जाने वाले फूल और पत्तियाँ उसके औषधीय महत्त्व की याद दिलाते है.
- टिका - आज्ञा चक्र , विशुद्धि चक्र क्रियान्वित होता है. जिस पदार्थ का टिका लगाया जाए उसका असर स्वास्थ्य पर होता है जैसे कुमकुम , हल्दी , चन्दन या केसर .
- कलेवा - हाथ में बांधा जाने वाला यह धागा सभी अन्तःस्त्रावी ग्रंथियों को सुचारू रूप से चलाता है. अगर बहनें हार्मोनल असंतुलन से परेशान है तो उलटे हाथ में धागा बांधे. लाभ होगा.
- घंटा नाद , शंख नाद - वातावरण में मौजूद हानिकारक कीटाणुओं और नकारात्मकता को नष्ट करता है.प्रणव ओमकार का नाद करता है.
- पूजा के पहले प्राणायाम करने का निर्देश है. स्तोत्र और मन्त्र के शब्दों में तरंगों की शक्ति है जो नाद ब्रम्ह या शब्द ब्रम्ह कहलाती है.
- अभिषेक करते हुए या तीर्थ जल लेते समय मंत्रोच्चार करने से पानी पर मन्त्रों की तरंग का अच्छा असर होता है. ऐसे मंत्रोच्चार से युक्त जल के सेवन से बीमारियाँ दूर होती है.
- मूर्ती पूजा - जिस प्रकार हम अपने प्रिय जन की तस्वीर रख कर उससे मन की सहक्ति से संवाद कर सकते है , वैसे ही हम अपने आराध्य की तस्वीर या मूर्ती को देख कर उस परम शक्ति से संपर्क साध सकते है. यह मन से मन का रिश्ता है. मूर्ती तो मन को उस स्थिति में ले जाने का माध्यम है.
- परम शक्ति ने मानव की रक्षा के लिए इतने सारे अवतार लिए है , जिससे हमारे पास इतने सारे देवी और देवता है. हमें हमारे कुल देवता या फिर गुरु द्वारा बताये गए देवता की पूजा और मन्त्र साधना करना चाहिए. घर के मंदिर में अनावश्यक मूर्तियाँ और सामान इकट्ठा ना करें. डर से तो हरगिज़ नहीं.

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श्री राम स्तुति (मूल पाठ एवं हिन्दी अनुवाद सहित)

श्री रामचन्द्र कृपालु भजु मन हरण भवभय दारुणम्।
नवकंज लोचन, कंज-मुख, कर-कंज, पद-कंजारुणम्॥

भावार्थ : हे मन! कृपालु श्री रामचंद्र जी का भजन कर... वह संसार के जन्म-मरण रूपी दारुण भय को दूर करने वाले हैं... उनके नेत्र नव-विकसित कमल के समान हैं, तथा मुख, हाथ और चरण भी लाल कमल के सदृश हैं...

कंदर्प अगणित अमित छवि, नवनील-नीरद सुन्दरम्।
पट पीत मानहु तड़ित रुचि शुचि नौमि जनक सुतावरम्॥

भावार्थ : उनके सौंदर्य की छटा अगणित कामदेवों से बढ़कर है, उनके शरीर का नवीन-नील-सजल मेघ समान सुंदर वर्ण (रंग) है, उनका पीताम्बर शरीर में मानो बिजली के समान चमक रहा है, तथा ऐसे पावन रूप जानकीपति श्री राम जी को मैं नमस्कार करता हूं...

भजु दीनबंधु दिनेश दानव, दैत्य-वंश-निकन्दनम्।
रघुनंद आनंदकंद कौशलचंद दशरथ-नंदनम्॥

भावार्थ : हे मन! दीनों के बंधु, सूर्य के समान तेजस्वी, दानव और दैत्यों के वंश का समूल नाश करने वाले, आनन्द-कन्द, कोशल-देशरूपी आकाश में निर्मल चन्द्रमा के समान, दशरथ-नन्दन श्री राम जी का भजन कर...

सिर मुकुट कुंडल तिलक चारु उदारु अंग विभूषणम्।
आजानुभुज शर चाप धर, संग्रामजित खरदूषणम्॥

भावार्थ : जिनके मस्तक पर रत्नजटित मुकुट, कानों में कुण्डल, भाल पर सुंदर तिलक और प्रत्येक अंग में सुंदर आभूषण सुशोभित हो रहे हैं, जिनकी भुजाएं घुटनों तक लम्बी हैं, जो धनुष-बाण लिए हुए हैं, जिन्होंने संग्राम में खर और दूषण को भी जीत लिया है...

इति वदति तुलसीदास शंकर, शेष-मुनि-मन-रंजनम्।
मम हृदय-कंज-निवास कुरु, कामादि खल दल गंजनम्॥

भावार्थ : जो शिव, शेष और मुनियों के मन को प्रसन्न करने वाले और काम, क्रोध, लोभ आदि शत्रुओं का नाश करने वाले हैं... तुलसीदास प्रार्थना करते हैं कि वह श्री रघुनाथ जी मेरे हृदय-कमल में सदा निवास करें...

मनु जाहिं राचेहु मिलिहि सो बरु सहज सुंदर सांवरो।
करुणा निधान सुजान सील सनेह जानत रावरो॥

भावार्थ : गौरी-पूजन में लीन जानकी (सीता जी) पर गौरी जी प्रसन्न हो जाती हैं और वर देते हुए कहती हैं - हे सीता! जिसमें तुम्हारा मन अनुरक्त हो गया है, वह स्वभाव से ही सुंदर और सांवला वर (श्री रामचन्द्र) तुम्हें मिलेगा... वह दया के सागर और सुजान (सर्वज्ञ) हैं, तुम्हारे शील और स्नेह को जानते हैं...

एहि भांति गौरि असीस सुनि सिय सहित हिय हरषी अली।
तुलसी भवानिहि पूजि पुनि पुनि मुदित मन मंदिर चली॥

भावार्थ : इस प्रकार गौरी जी का आशीर्वाद सुनकर जानकी जी सहित समस्त सखियां अत्यन्त हर्षित हो उठती हैं... तुलसीदास जी कहते हैं कि तब सीता जी माता भवानी को बार-बार पूजकर प्रसन्न मन से राजमहल को लौट चलीं...

सोरठा: जानि गौरि अनुकूल सिय हिय हरषु न जाइ कहि।
मंजुल मंगल मूल बाम अंग फरकन लगे॥

भावार्थ : गौरी जी को अपने अनुकूल जानकर सीता जी को जो हर्ष हुआ, वह अवर्णनीय है... सुंदर मंगलों के मूल उनके बायें अंग फड़कने लगे...

GOOD THOUGHTS ABOUT LIFE

1. It is not what you do for your juniors/subordinates/children that are important. It is what you teach them to do for them selves.
2. The world suffers a lot, not because of the violence of bad people, but because of the silence of good people.
3. A successful man is he who can lay a firm foundation with the bricks that others throw at him! Learn to accept criticism proactively and with grace.
4. Your success is determined by what you are willing to sacrifice for it.
5. No one will manufacture a lock without a key. Similarly the God does not give problems without solutions. Only we should have patience and courage to find them.
6. Success is not the key to happiness. But happiness is the key to success.
7. Do not complain about others. Change yourself if you want peace. It is easier to protect our feet with shoes than to carpet the earth.
8. Do not only be close with someone who makes you happy. Be close with someone who can not be happy without you. It may make a lot difference to him at least.
9. Bill Gates never did LaxmiPooja but he is the richest man. Einstein never did SaraswatiPooja but he was the cleverest man. So just believe in hard work.
10. You can tell whether a man is intelligent by his answers. But you can tell a man is wise by his questions.
11. Slow down and enjoy life. It is not only the scenery you miss by going fast but you also miss the sense of where
you are going and why.
12. The only thing I like about stones that come in my way is: once I pass them, they automatically become my
milestones.
13. Luck is not in your hands. But work is in your hands. Your works can make your luck but luck can not make
your works. So always trust yourself.
14. Love is a gift. If you receive it, open and appreciate it. If not, don not worry. Someone somewhere is still
wrapping it for you.
15. Birds that live in a lake will fly away when the lake dries. But the lotus that grows in the same lake will die with
the lake. So recognize the birds in your life.
16. Coincidence decides to whom you meet in life. Your heart and your mind decide with whom you want to stay in life. But only destiny decides who gets to stay in your life.
17. Everything in life has a beautiful ending. And if it is not beautiful, then be sure, it is not the ending.
18. MORNING means one more inning given by the god to play.
19. A person who surrenders when he is wrong is honest.
A person, who surrenders when not sure, is wise.
A person, who surrenders even if he is right, is a HUSBAND! :-)
20. I can not say whether things will get better if we change, what I can say is that if we want to get better, we need to change.
21. Leave something for someone…never leave someone for something because in life something may leave you but someone will always live with you.
22. Too often we underestimate the power a touch, a smile, a kind word, or the smallest act of caring, all of which have the power to build a life long relationship.
23. God has deposited Love, Joys, Prosperity, Peace and Laughter plus all kind of Blessings in your account. Use without limit. The PIN code is : PRAYER!
24. Three best things:
A little seed in good soil
A few cows in good grass
A few friends in tavern
25. One meets his destiny often on the road he tried to avoid it.
26. With lies you may go ahead in the world but you can never come back.
27. The road to a friend’s house is never too long.
28. When the heart is full, the eyes overflow.
29. There is none luckier than he who thinks himself so.
30. The truth may walk around naked, but the lie has to be clothed.
31. It is better to light a candle than to curse the darkness.
32. No one knows what he can do until he tries.
33. God gives every bird its food but does not always drop it into the nest.
34. Do not choose for any one what you do not choose for yourself.
35. It is better, in times of need, to have a friend than to have money.
36. As you do to others, they will do to you.
37. Little children – little joys
Bigger children – bigger sorrows
38. A good name keeps its brightness even in dark days.
39. An inch of gold will not buy an inch of time.
40. A light heart lives long.
41. Personality has the power to open the doors, but it takes character to keep them open.
42. The person who likes you more will trouble you more. But when you drop a tear, they will fight the world to stop that tear.
43. Those people whom you miss in your happiness are the ones whom you love. But those people whom you miss in your sadness are the ones who love you. Do not forget them.
44. Success is not a matter of being the best and winning the race, it is a matter of handling the worst and finishing the race. Be positive.
45. A man does not start turning old when his hair starts graying, but when his enthusiasm towards life and its joy start dropping. Just keep checking your age!!
46. A honey bee visits 2 million flowers to collect 500 mg of honey. So our workload is nothing as compared to them. Be cheerful and keep working.
47. It is not that some people have will power and some do not. It is that some people are ready to change and others are not. Believe in yourself and change for betterment.
48. Everybody says that mistake is the first step to success. But it is not true. Actually it is the correction of mistake.
49. Winners recognize their limitations but focus on their strengths.
Losers recognize their strengths but focus on their weaknesses.
50. We choose our joys and sorrows long before we experience them.
"ऊँ यक्षाय कुबेराय वैश्रणवाय धनधान्यादिपतये धनधान्यसमृद्धि में देहि देहि दापय दापय स्वाहा।"

इस मंत्र का यंत्र के सामने उत्तराभिमुख बैठ कर रोजाना पांच माला का जाप करना चाहिये,खूब संपत्ति आजाये फ़िर भी इस मंत्र को नही छोडना चाहिये,आठवें दिन ३५० मंत्रों की घी की आहुति देनी चाहिये।

यह यंत्र और मंत्र जीवन की सभी श्रेष्ठता को देने वाला,ऐश्वर्य,लक्षमी,दिव्यता,पद प्राप्ति,सुख सौभाग्य,व्यवसाय वृद्धि अष्ट सिद्धि,नव निधि,आर्थिक विकास,सन्तान सुख उत्तम स्वास्थ्य,आयु वृद्धि,और समस्त भौतिक और पराशुख देने में समर्थ है। लेकिन तुलसीदास की इस कहावत को नही भूलना चाहिये,"सकल पदारथ है जग माहीं,भाग्यहीन नर पावत नाहीं",जिनके भाग्य में लक्षमी सुख नही है,वे इसे ढकोसला और न जाने क्या क्या कह कर दरकिनार कर सकते हैं।

संपूर्ण बनूँ ..........

तुम गीत कहो , मैं पंक्ति बनू
तुम ग़ज़ल कहो , मैं शब्द बनू

बिन तेरे मेरा वजूद है क्या
हो शब्द तेरे मैं भाव बनू

मेरे प्रियतम , मेरी मंजिल तू
मैं रही , मैं पथिक बनू

तुझको पाकर खुद को ख़ून
सम्पूर्ण बनूँ , सम्पूर्ण बनू


ये इश्क नहीं घर खाला का उसको भी समझना लाजिम है |
हर नक्शे कदम पर दिलबर के इस सर को झुकाना पड़ता है ||



ज़माने से नाज़ अपने उठवानेवाले / आरज़ू लखनवी




ज़माने से नाज़ अपने उठवानेवाले।
मुहब्बत का बोझ आप उठाना पड़ेगा॥

सज़ा तो बजा है, यह अन्धेर कैसा?
ख़ता को भी जो ख़ुद बताना पड़ेगा॥

मुहब्बत नहीं, आग से खेलना है।
लगाना पड़ेगा, बुझाना पड़ेगा॥
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