Wednesday, February 2, 2011

शिव से मिले फूल के बदले मनचाहा फल,आरोग्य देता है शिव-सूर्य पूजन,गायत्री मंत्र से करें शिव की आराधना..........

शिव उपासना का सावन माह अंतिम सोपान पर है। भगवान शंकर सांसारिक सुखों से जुड़े हर मनोरथ पूरे करने वाले देवता हैं। इसलिए उनकी प्रसन्नता के लिए धर्म ग्रंथों में अनेक व्रत-उपवास बताए गए हैं। किंतु अनेक धर्म जन अलग-अलग वजहों से व्रत के धार्मिक विधान का पालन नहीं कर पाते। चूंकि महादेव भी थोड़ी ही भक्ति से प्रसन्न होने वाले देवता है। इसलिए शिव कृपा के लिए शिव पुराण में ही अलग-अलग फूल और अनाज चढ़ाकर मनोकामना पूर्ति के उपाय बताए गए हैं। जानते हैं यह उपाय क्या है -



- पुत्र कामना पूरी करने के लिए लाल फूल वाला धतूरा शिव को चढ़ाना चमत्कारीक फल देता है। इसके अभाव में सामान्य धतूरा भी चढ़ा सकते हैं।

- शिव पूजा में चमेली के फूल चढ़ाने पर वाहन सुख की कामना पूरी होती है।

- विवाह बाधा दूर करने के लिए भगवान शंकर पर बेला के फूल चढ़ाएं। इससे श्रेष्ठ वर और सर्वगुण संपन्न पत्नी मिलती है।

- धन लाभ की कामना पूरी करने के लिए कमल, शंखपुष्प, बिल्वपत्र और शतपत्र से भगवान शिव पर चढ़ाएं।

- पद, सम्मान पाने के लिए शिव पूजन में अगस्त्य के फूलों अर्पित करें।

- महादेव की जूही के फूलों से पूजा अपार अन्न-धन देती है।

- शिव की कनेर के फूलों से पूजा सुंदर वस्त्रों की कमी नहीं होने देती।

- मन की शांति और तनाव दूर करने के लिए शिव को शेफालिका के फूल चढ़ाएं।

- लंबी उम्र की चाहत रखने वाला व्यक्ति दुर्वाओं से शिव पूजा में अर्पित करे।

- शिव की तुलसी के पत्तों से पूजा सुख और मुक्ति प्राप्त होती है। इसके अलावा सफेद कमल के फूलों को चढ़ाने से मोक्ष का मार्ग आसान होता है।



फूलों के अलावा शिव पूजा में तरह-तरह के अनाज चढ़ाने का महत्व भी बताया गया है।



- शिव पूजा में गेंहू से बने व्यंजन चढ़ाने पर कुल की वृद्धि होती है।

- मूंग से शिव पूजा करने पर भगवान शंकर की कृपा से हर सुख मिलता है।

- तिलों से शिवजी पूजा और हवन में एक लाख आहुतियां करने से हर पाप का अंत हो जाता है.

धार्मिक दृष्टि से शिव पूजा में आस्था से श्री शिवमहिम्नस्तोत्र स्त्रोत के पाठ से शिव कृपा होने के साथ दरिद्रता का नाश, रोग नाश, कामनापूर्ति और धन प्राप्ति होती है। इस स्तोत्र का रोज केवल एक, दो या तीन बार भी पाठ करने से जीवन में हर सुख मिल जाता I

सरावण कृष्ण सप्तमी तिथि सूर्य को समर्पित है अत: सप्तमी को सूर्य के रूप में भगवान शंकर का पूजन विधि-विधान से करने पर तेज की प्राप्ति होती है। इस दिन प्रात:काल सूर्य को जल चढ़ाने से आरोग्य तो मिलता ही है साथ ही इसके निरंतर करने से आंखों एवं सिरदर्द का निदान भी होता है। इस दिन तांबे से निर्मित वस्तुओं का दान करने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं।


इस दिन शीतला सप्तमी का व्रत भी महिलाओं द्वारा किया जाता है। महिलाएं यह व्रत अखंड सौभाग्य की इच्छा से करती है। इस दिन शीतलामाता की पूजा शीतल सामग्री से की जाती है। इस दिन घरों में चुल्हा भी नहीं जलाया जाता।
श्रावण मास के आगमन के साथ ही मन में धर्म व अध्यात्म का प्रकाश फैल जाता है। श्रावण मास में सत्संग सुनने का विशेष लाभ मिलता है। यह मास शिव की आराधना के लिए अति उत्तम माना गया है। पुराणों में वर्णित है कि इस मास में सच्चे मन से शिव की आराधना से शिव प्रसन्न होते हैं। इस मास की हर तिथि का भी अपना विशेष महत्व है। विशेष तिथि को शिव का विशेष पूजन- अर्चन करने से सभी सुखों का लाभ मिलता है।

श्रावण कृष्ण दशमी तिथि मां गायत्री को समर्पित है। इस दिन शिव का गायत्री मंत्र द्वारा पूजन करने से अकाल मृत्यु का भय सदैव के लिए समाप्त हो जाता है। धर्म शास्त्रों के अनुसार इस दिन सफेद वस्त्र दान करने से शिव व गायत्री प्रसन्न होते हैं।

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