Tuesday, February 22, 2011

सावन के बादलो! / रतन

सावन के बादलो! उनसे ये जा कहो'

तक़दीर मं यही था, साजन मेरे न रो।

घनघोर घटाओ! मत झूम के आओ

याद उनकी सताएगी, रूमझुम यहाँ न हो।।

जिस दिन से जुदा हम हैं, आँखें मेरी पुरनम हैं।

रो-रो के मैं मर जाऊँ, दुख तेरी बला को।। सावन के बादलो...

छेड़ो न हमें आके, बरसो कहीं और जाके, बरसो कहीं और जाके।

वो दिन न रहे अपने, रातें न रहीं वो। सावन के बादलो...

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