Wednesday, February 23, 2011

शायद उस खोज को अधूरी रख ! मैं खुश हूँ ......

शायद उस खोज को अधूरी रख ! मैं खुश हूँ ......
सच तो ये है की यह सृष्टि भगवान ने निर्मित की है ,यह दुनिया मेरे पहले भी चल रही थी और मेरे बाद भी अनंत काल तक चलती रहेगी.
जब हम इस दुनिया में आये थे तो शरीर साथ आया था ,पर जब जायेंगे तो यह शरीर भी इस सृष्टि की ,इस धरती की मिटटी में मिल जायेगा .
फिर क्यों छल,कपट,बईमानी ,धोखा ,षड्यंत्र,इर्ष्या, द्वेष ....किसे को नीचा दिखाना ,उम्र में बड़े होते हुए भी अपने से छोटों का हक़ मार लेना ...
क्यों ?किस लिए?
ऐसा कर के वे अपने बच्चों को क्या शिक्षा दे रहे हैं ,क्या आदर्श प्रस्तुत कर रहे हैं ????
भगवान को तो सरल सच्चे लोग ही प्रिय हैं .
सुग्रीव को न्याय दिलाने राम अयोध्या से आये थे ,रावण से विभीषण को राज्य दिलाने में भगवान् राम ने रावण का वध किया.
प्रहलाद की रक्षा हेतु विष्णु भगवान् ने 'नरसिंह ' अवतार लिया ,पांडवों को राज्य दिलवाने व कौरवों से उनकी रक्षा के लिए
युद्ध में भगवान् कृष्ण अर्जुन के रथ के सारथी बने .
राम चरित मानस में तुलसीदास जी लिखते हैं --"जाके हृदये कपट दंभ नहीं माया ,वाके हृदये बसही रघुराया "
मुझे भरोसा है भगवान् आज भी सच्चे व सरल लोगो का साथ देने ...राम या कृष्ण बनकर आयेंगे
उन बड़े उम्र के छोटे लोगों (नीच बुद्धि )को बताना चाहती हूँ ...
चाहती हूँ मरने के बाद यह ज़मीन जायदाद ,हीरे-मोती,सभी कीमती वस्तुए साथ ले जाऊं पर क्या करूँ.... कफ़न में जेब नहीं होती !!!!!
मैंने आजतक वो दर्जी नहीं खोजा जो कफ़न में जेबें सिल्ता हो.....
शायद उस खोज को अधूरी रख ....
मैं खुश हूँ !!!!
बहुत खुश !!
इस सन्देश की लेखिका---श्रीमती अर्चना अगरवाल हैं

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