भगवान् विष्णु के दस मुख्य अवतार मान्यता प्राप्त हैं। यह् अवतार क्रमशः प्रस्तुत हैं :
१) मत्स्य अवतार : मत्स्य (मछ्ली) के अवतार में भगवान विष्णु ने एक ऋषि को सब प्रकार के जीव-जन्तु एकत्रित करने के लिये कहा और पृथ्वी जब जल में डूब रही थी, तब मत्स्य अवतार में भगवान ने उस ऋषि की नांव की रक्षा की थी। इसके पश्चात ब्रह्मा ने पुनः जीवन का निर्माण किया। एक दूसरी मन्यता के अनुसार एक राक्षस ने जब वेदों को चुरा कर सागर में छुपा दिया, तब भगवान विष्णु ने मत्स्य रूप धारण करके वेदों को प्राप्त किया और उन्हें पुनः स्थापित किया।
२) कूर्म अवतार : कूर्म के अवतार में भगवान विष्णु ने क्षीरसागर के समुन्द्रमंथन के समय मंदर पर्वत को अपने कवच पर संभाला था। इस प्रकार भगवान विष्णु, मंदर पर्वत और वासुकि नामक सर्प की सहायता से देवों एंव असुरों ने समुद्र मंथन करके चौदह रत्नोंकी प्राप्ती की। (इस समय भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप भी धारण किया था।)
३) वराहावतार : वराह के अवतार में भगवान विष्णु ने महासागर में जाकर भूमि देवी कि रक्षा की थी, जो महासागर की तह में पँहुच गयीं थीं। एक मान्यता के अनुसार इस रूप में भगवान ने हिरन्याक्ष नाम के राक्षस का वध भी किया था।
४) नरसिंहावतार : नरसिंह रूप में भगवान विष्णु ने अपने भक्त प्रहलाद की रक्षा की थी और प्रहलाद के पिता हिरण्यकश्यप का वध किया था। इस अवतार से भगवान के निर्गुण होने की विद्या प्राप्त होती है।
५) वामन् अवतार : इसमें विष्णु जी वामन् (बौने) के रूप में प्रकट हुए। bakt prahlad ke paotra ashurraj raja bali se devtao ki raksha ke liye vaman avtar liya.
६) परशुराम अवतार: इसमें विष्णु जी ने परशुराम के रूप में असुरों का संहार किया।
७) राम अवतार: राम ने रावण का वध किया जो रामायण में वर्णित है।
८) कृष्णावतार : भगवान विष्णु ने श्रीकृष्ण के रूप मे देवकी और वसुदेव के घर मे जन्म लिया था। उनका लालन पालन यशोदा और नंद ने किया था। इस अवतार का विस्तृत वर्णन श्रीमद्भागवत पुराण मे मिलता है।
९) बुद्ध अवतार: इसमें विष्णु जी बुद्ध के रूप में असुरों को वेद की शिक्षा के लिये तैयार करने के लिये प्रकट हुए।
१०) कल्कि अवतार: इसमें विष्णु जी भविष्य में कलियुग के अन्त में आयेंगे।
विष्णु के नाम
विष्णु, नारायण, कृष्ण, बैकुण्ठ, विष्टरश्रवस्, दामोदर, हृषीकेश, केशव, माधव, स्वभू, दैत्यारि, पुण्डरीकाक्ष, गोविन्द, गरुड़ध्वज, पीताम्बर, अच्युत, शाङ्गी, विष्वक्सेन, जनार्दन, उपेन्द्र, इन्द्रावरज, चक्रपाणि, चतुर्भुज, पद्मनाभ, मधुरिपु, वासुदेव, त्रिविक्रम, देवकीनन्दन, शौरि, श्रीपति, पुरुषोत्तम, वनमाली, बलिध्वंसी, कंसाराति, अधोक्षज, विश्वम्भर, कैटभजित्, विधु और श्रवस्तलाञ्छन ये 39 विष्णु के नाम हैं।
विष्णु के शंख का नाम 'पाञ्चजन्य' चक्र का नाम 'सुदर्शन' गदा का नाम 'कौमोदकी' खङ्ग (तलवार) का नाम 'नन्दक' और मणि का नाम 'कौस्तुभ' है।[तथ्य वांछित]
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