हिन्दू धर्म में माघ मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी पर श्री गणेश यानि विनायक उपासना का विशेष महत्व है। श्री गणेश बुद्धिदाता देवता माने जाते हैं। इस दिन खासतौर पर श्री गणेश के सिद्धिविनायक रूप की भक्ति से बुद्धि और विवेक की वृद्धि होती है।
विवेक यानि सही या गलत का फर्क करने की समझ। इसके अभाव में तन या धन बल बेकार हो सकता है। किंतु जीवन के सही फैसलों में बुद्धि और विवेक ही अहम भूमिका होती है। जिससे कामयाबी की राह आसान हो जाती है।
विनायक चतुर्थी पर सिद्धिविनायक की उपासना ऐसे ही कार्य और कामना की सिद्धि की दृष्टि से बहुत अहम है। इस पूजा में खासतौर पर भगवान श्री गणेश को प्रिय दूर्वा यानि दूब चढ़ाने का महत्व है। दूर्वा अर्पण से हर विघ्न, बाधा और कष्टों का अंत माना जाता है। जानते हैं सिद्धिविनायक पूजा में दूर्वा चढ़ाने का विशेष मंत्र -
- सुबह स्नान कर घर के देवालय या श्री गणेश मंदिर में सिद्धिविनायक गणेश की पूजा करें।
- पूर्व दिशा में मुख कर भगवान गणेश की मूर्ति की पंचोपचार यानि कुंकूम, अक्षत यानि चावल, फूल के अलावा इस विशेष मंत्र के साथ दूर्वा अगले भाग की ओर से समर्पित करें। दूर्वा की संख्या विषम 3, 5 या 7 रखना शुभ होता है -
दुर्वा करान्सह रितान मृतन्मंगल प्रदान।
आनी तांस्तव पूजार्थ गृहाण परमेश्वर।।
- इसके बाद भोग में मोदक यानि लड्डूओं का भोग लगाएं। सिंदूर की प्रतिमा होने पर सिंदूर चढ़ाएं और श्री गणेश के चरणों का सिंदूर मस्तक पर लगाएं।
- ऐसी पूजा और दूर्वा का अर्पण हर बुधवार, हर माह की दोनों चतुर्थी या हर रोज स्नान के बाद पीले कपड़े पहन करना शानदार सफलता देने वाला माना गया है।
Sunday, February 6, 2011
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