पौराणिक महत्व की दृष्टि से यहीं पर चंद्र ने तप कर शिव की कृपा से शाप से मुक्ति पाई। इसलिए इस ज्योर्तिलिंग का नाम सोमनाथ कहलाया। मंदिर में शिव के सोमेश्वर रुप की पूजा होती है। सोमेश्वर का अर्थ है - चंद्र को सिर पर धारण करने वाले देवता यानि शिव। चंद्र को मन का कारक और शिवलिंग आत्मलिंग माना जाता है। इस तरह सोमनाथ ज्योर्तिलिंग के मात्र दर्शन से ही शरीर के रोगों के साथ-साथ मानसिक और वैचारिक शुद्धि भी होती है।
इसी क्षेत्र मे भगवान श्रीकृष्ण ने पैरों में बाण लगने के बाद देहत्याग दी और उनके वंश का नाश हुआ। यहां श्रावण पूर्णिमा, शिवरात्रि, चंद्र ग्रहण और सूर्यग्रहण पर मेला लगता है।
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