आधुनिक युग के संत-मनीषी श्री हनुमान की भक्ति, शक्ति, ज्ञान, विनय, त्याग, औदार्य, बुद्धिमता आदि से अत्यधिक प्रेरित प्रभावित रहे हैं। श्रीरामकृष्ण परमहंस हनुमान जी नाम-जप-निष्ठा का बराबर उदाहरण देते थे। भक्तों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा था- ‘‘मन के गुण से हनुमान जी समुद्र लाँघ गये। हनुमान जी का सहज विश्वास था, मैं श्रीराम का दास हूँ और श्रीराम नाम जपता हूँ, अत: मैं क्या नहीं कर सकता ?’’ स्वामी विवेकानन्द ने भी गरजते हुए कहा था- ‘‘देश के कोने-कोने में महाबली श्री हनुमान जी की पूजा प्रचलित करो। दुर्बल जाति के सामने महावीर का आदर्श उपस्थित करो। देह में बल नहीं, हृदय में साहस नहीं, तो फिर क्या होगा इस जड़पिंड को धारण करने से ? मेरी प्रबल आकांक्षा है कि घर-घर में बज्रांगबली श्री हनुमान जी की पूजा और उपासना हो।’’ महात्मा गांधी, महामना मालवीय जी आदि ने ऐसे ही उद्गार हनुमान जी के प्रति व्यक्त किये हैं। !!!۞!!!..........
हनुमान जी के १२ नाम ....उनका एक नाम तो हनुमान है ही, दूसरा अंजनी सूनु, तीसरा वायुपुत्र, चौथा महाबल, पांचवां रामेष्ट (राम जी के प्रिय), छठा फाल्गुनसख (अर्जुन के मित्र), सातवां पिंगाक्ष (भूरे नेत्र वाले) आठवां अमितविक्रम, नौवां उदधिक्रमण (समुद्र को लांघने वाले), दसवां सीताशोकविनाशन (सीताजी के शोक को नाश करने वाले), ग्यारहवां लक्ष्मणप्राणदाता (लक्ष्मण को संजीवनी ) और बारहवां नाम है- दशग्रीवदर्पहा (रावण के घमंड को चूर करने वाले) !!!۞!!!
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