शास्त्रों में लिखा है कि प्रदोष व्रत का महत्व सबसे पहले भगवान शंकर ने पार्वती को बताया था। इसके बाद महर्षि वेदव्यास जी ने श्री सूतजी को सुनाया और इसके बाद गंगा के किनारे वेदों के ज्ञाता श्री सूत जी ने सौनकादि ऋषियों को बताया था। सूत जी ने कहा कि प्रदोष व्रत कलियुग में मंगलकारी और शिव की कृपा देने वाला है। सुख की कामना से स्त्री और पुरूष यह व्रत रख सकते हैं वरत के पुण्य से कलियुग में मनुष्य के सभी प्रकार के कष्टों का शमन हो जाता है। यह व्रत बहुत कल्याणकारी है। इस व्रत के प्रभाव से मनुष्य को मन चाहे फल प्राप्त होते हैं। कलियुग में प्रदोष व्रत ऐसा व्रत है जो मानव को शिव की कृपा का पात्र बनाएगा और नीच गति से छूटकर मनुष्य सद्गति को प्राप्त होती है।प्रदोष व्रत अलग-अलग वारों पर विशेष फल देता हैI
1- रविवार के दिन प्रदोष व्रत रखने पर आरोग्य प्राप्त होता है। 2- सोमवार के दिन व्रत करने से कामनाएं पूरी होती है। 3- मंगलवार को प्रदोष व्रत रखने से रोगों और ऋण से छुटकारा मिलता है। व्यक्ति स्वस्थ हो जाता है। 4- बुधवार के दिन इस व्रत करने से हर प्रकार के मनोरथ पूरे होते है। 5- बृहस्पतिवार के व्रत से शत्रु की पराजय होती है। 6- शुक्र प्रदोष व्रत से सौभाग्य की वृद्धि होती है।7- शनि प्रदोष व्रत से पुत्र की प्राप्ति होती है======
प्रत्येक माह की त्रयोदशी को प्रदोष व्रत किया जाता है। जब त्रयोदशी सोमवार को आती है तो सोम प्रदोष व्रत किया जाता है। यह विशेष फलदाई है। अनेक धर्मग्रंथों में इसकी महिमा का वर्णन किया गया है। प्रदोष व्रत के पालन के लिए शास्त्रोक्त विधान इस प्रकार है। किसी विद्वान ब्राह्मण से यह कार्य कराना श्रेष्ठ होता है-
1)- प्रदोष व्रत में बिना जल पिए व्रत रखना होता है। सुबह स्नान करके भगवान शंकर, पार्वती और नंदी को पंचामृत व गंगाजल से स्नान कराकर बेल पत्र, गंध, अक्षत, पुष्प, धूप, दीप, नैवेद्य, फल, पान, सुपारी, लौंग, इलायची भगवान को चढ़ाए जाते हैं।2)- शाम के समय फिर से स्नान करके इसी तरह शिवजी की पूजा करना चाहिए। शिवजी का षोडशोपचार पूजा करें। जिसमें भगवान शिव की सोलह सामग्री से पूजा की जाती है। 3)- भगवान शिव को घी और शक्कर मिले जौ के सत्तू का भोग लगाएं। 4)- आठ दीपक आठ दिशाओं में जलाएं। आठ बार दीपक रखते समय प्रणाम करें। शिव आरती करें। शिव स्त्रोत, मंत्र जप करें ।5)- रात्रि में जागरण करें।
इस प्रकार समस्त मनोरथ पूर्ति और कष्टों से मुक्ति के लिए व्रती को प्रदोष व्रत के धार्मिक विधान का नियम और संयम से पालन करना चाहिए।===
3- सावन के पहले सोमवार को कच्चे चावल पूजा में भगवान शिव को चढ़ाने का महत्व है।
4- सफेद पुष्प, बेलपत्र, भांग-धतूरा भी शिव पूजा में चढ़ाएं। शिव स्त्रोतों और स्तुति का पाठ करें।
1)- प्रदोष व्रत में बिना जल पिए व्रत रखना होता है। सुबह स्नान करके भगवान शंकर, पार्वती और नंदी को पंचामृत व गंगाजल से स्नान कराकर बेल पत्र, गंध, अक्षत, पुष्प, धूप, दीप, नैवेद्य, फल, पान, सुपारी, लौंग, इलायची भगवान को चढ़ाए जाते हैं।2)- शाम के समय फिर से स्नान करके इसी तरह शिवजी की पूजा करना चाहिए। शिवजी का षोडशोपचार पूजा करें। जिसमें भगवान शिव की सोलह सामग्री से पूजा की जाती है। 3)- भगवान शिव को घी और शक्कर मिले जौ के सत्तू का भोग लगाएं। 4)- आठ दीपक आठ दिशाओं में जलाएं। आठ बार दीपक रखते समय प्रणाम करें। शिव आरती करें। शिव स्त्रोत, मंत्र जप करें ।5)- रात्रि में जागरण करें।
इस प्रकार समस्त मनोरथ पूर्ति और कष्टों से मुक्ति के लिए व्रती को प्रदोष व्रत के धार्मिक विधान का नियम और संयम से पालन करना चाहिए।===
सावन में हर सोमवार को व्रत बहुत शुभ फल देने वाला होता है। भगवान शिव की उपासना को समर्पित इस व्रत को करने से हर व्रती पर शिव कृपा के साथ मनोकामनाओं को पूरा करने वाला माना गया है। इस बार सावन में चार सोमवार दिनांक २, ९, १६ और २३ जुलाई आएंगे। इस वर्ष इसी व्रत परंपरा में पहला सावन सोमवार का व्रत २ अगस्त को रखा जाएगा। इस बार सावन के पहले सोमवार के साथ सप्तमी तिथि का भी दुर्लभ योग बना है। सप्तमी तिथि के देवता सूर्य होते हैं। इसलिए धार्मिक दृष्टि से इस बार यह दिन अच्छे स्वास्थ और कामना पूर्ति के लिए बहुत पुण्यदायी बन गया है। सावन के हर सोमवार को शिवके साथ माता पार्वती, गणेश जी, कार्तिकेय और नंदी जी की पूजा होती है। इस बार सप्तमी होने से भगवान शिव के साथ सूर्य पूजा भी करें,पूजा में विशेष सामग्री चढ़ाने का भी धार्मिक महत्व है।
सावन के पहले सोमवार की सरल व्रत विधि के अनुसार ======1- यह पूजा पूर्व दिशा की ओर या उत्तर दिशा की ओर मुख करके करें।
2- गंध, फूल, धूप, दीप, दूध, जल, शहद, घी, गुड, जनेऊ, चंदन, रोली, कपूर से यथोपचार पूजा और अभिषेक पूजन करना चाहिए। शिवालय में शिव पर जलधारा और अभिषेक बहुत फलदायी माना जाता है।सावन के पहले सोमवार की सरल व्रत विधि के अनुसार ======1- यह पूजा पूर्व दिशा की ओर या उत्तर दिशा की ओर मुख करके करें।
3- सावन के पहले सोमवार को कच्चे चावल पूजा में भगवान शिव को चढ़ाने का महत्व है।
4- सफेद पुष्प, बेलपत्र, भांग-धतूरा भी शिव पूजा में चढ़ाएं। शिव स्त्रोतों और स्तुति का पाठ करें।
5- संभव हो तो रात्रि जागरण का भी महत्व है।=====
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