मार्गशीर्ष अष्टमी पर कालभैरव के निमित्त व्रत उपवास रखने पर जल्द ही भक्तों की इच्छाएं पूर्ण हो जाती हैं। इस पर्व की व्रत की विधि इस प्रकार है-
भैरवाष्टमी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठें। स्नान आदि कर्म से निवृत्त होकर व्रत का संकल्प करें। तत्पश्चात किसी भैरव मंदिर जाएं। मंदिर जाकर भैरव महाराज की विधिवत पूजा-अर्चना करें। साथ ही उनके वाहन की भी पूजा करें। साथ ही ऊँ भैरवाय नम: मंत्र से षोडशोपचारपूर्वक पूजन करना चाहिए। भैरवजी का वाहन कुत्ता है, अत: इस दिन कुत्तों को मिठाई खिलाएं। दिन में फलाहार करें।=
शिवजी अवतार कालभैरव का अवतरण मार्गशीर्ष कृष्णपक्ष की अष्टमी को हुआ था। महादेव का यह रूप सभी पापों से मुक्त करने वाला माना गया है। कालभैरवाष्टमी के दिन इनकी विधि-विधान से पूजा करने पर भक्तों को सभी सुखों की प्राप्ति होती है।
ऐसा माना जाता है इस दिन कालभैरव के समीप जागरण करने से कुछ ही दिनों में शुभ फल प्राप्त हो जाते हैं।
भैरवजी का पूजन कर उन्हें इन मंत्रों से अर्ध्य अर्पित करें-
भैरवाध्र्यं गृहाणेश भीमरूपाव्ययानघ।
अनेनाध्र्यप्रदानेन तुष्टो भव शिवप्रिय।।
सहस्राक्षिशिरोबाहो सहस्रचरणाजर।
गृहाणाध्र्यं भैरवेदं सपुष्पं परमेश्वर।।
पुष्पांजलिं गृहाणेश वरदो भव भैरव।
पुनरघ्र्यं गृहाणेदं सपुष्पं यातनापह।।=======
ऐसा माना जाता है इस दिन कालभैरव के समीप जागरण करने से कुछ ही दिनों में शुभ फल प्राप्त हो जाते हैं।
भैरवजी का पूजन कर उन्हें इन मंत्रों से अर्ध्य अर्पित करें-
भैरवाध्र्यं गृहाणेश भीमरूपाव्ययानघ।
अनेनाध्र्यप्रदानेन तुष्टो भव शिवप्रिय।।
सहस्राक्षिशिरोबाहो सहस्रचरणाजर।
गृहाणाध्र्यं भैरवेदं सपुष्पं परमेश्वर।।
पुष्पांजलिं गृहाणेश वरदो भव भैरव।
पुनरघ्र्यं गृहाणेदं सपुष्पं यातनापह।।=======
कलयुग में काल के भय से बचने के लिए कालभैरव की आराधना सबसे अच्छा उपाय है। कालभैरव को शिवजी का ही रूप माना गया है। कालभैरव की पूजा करने वाले व्यक्ति को किसी भी प्रकार का डर नहीं सताता है।
शास्त्रों के अनुसार भगवान शिव के दो स्वरूप बताए गए हैं। एक स्वरूप में महादेव अपने भक्तों को अभय देने वाले विश्वेश्वरस्वरूप हैं वहीं दूसरे स्वरूप में भगवान शिव दुष्टों को दंड देने वाले कालभैरव स्वरूप में विद्यमान हैं।
शिवजी का विश्वेश्वरस्वरूप अत्यंत ही सौम्य और शांत हैं यह भक्तों को सुख, शांति और समृद्धि प्रदान करता है। वहीं भैरवस्वरूप रौद्र रूप वाले हैं, इनका रूप भयानक और विकराल होता है। इनकी पूजा करने वाले भक्तों को किसी भी प्रकार डर कभी परेशान नहीं करता।
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