Wednesday, February 2, 2011

पितृदोष दूर करे, ये आसान उपाय .......यह कार्य करें षटतिला एकादशी पर......

किसी भी व्यक्ति की कुण्डली में शनि, राहु, सूर्य और गुरु ग्रहों की युति और उनके साथ अन्य ग्रहों के बुरे प्रभावों से बने पितृदोष को दैनिक जीवन में कुछ आसान उपाय अपनाकर भी दूर किया जा सकता है। पितृदोष दूर कर हर कोई सुखी, सफल और वैभवशाली जीवन बिता सकता है। यह उपाय श्राद्धपक्ष ही नहीं पूरे वर्ष भर पितरों की प्रसन्नता के लिए किए जा सकते हैं। जानते हैं यह उपाय -



- पिता का अपमान न करें और उनकी खुशी के लिए हरसंभव कोशिश करें।

- हर रोज माता-पिता और गुरु के चरण छूकर आशीर्वाद लेने से पितरों की प्रसन्नता मिलती है।

- भोजन से पहले तेल लगी दो रोटी गाय को खिलाएं।

- रोज तैयार भोजन में से एक भाग अन्न का निकालकर उसकी पितरों की प्रसन्नता के लिए गाय के गोबर से बने कंडे को जलाकर धूप दें या अग्रि में हवन करें।

- हर रोज संभव हो तो चिडिय़ा या दूसरे पक्षियों के खाने-पीने के लिए अन्न के दानें और पानी रखें।

- हर शनिवार को पीपल या वट की जड़ों में दूध चढाएं।

- श्राद्धपक्ष या वार्षिक श्राद्ध में ब्राह्मणों के लिए तैयार भोजन में पितरों की पसंद का पकवान जरुर बनाएं।

- देवता और पितरों की पूजा स्थान पर जल से भरा कलश रखकर सुबह तुलसी या हरे पेड़ों में चढ़ाएं।

- हर रोज तैयार भोजन में से तीन भाग गाय, कुत्ते और कौए के लिए निकालें और उन्हें खिलाएं।

- किसी तीर्थ पर जाएं तो पितरों के लिए तीन बार अंजलि में जल से तर्पण करना न भूलें।
(1) षटतिला एकादशी व्रत में तिल का छ: रूपों में उपयोग व दान करना उत्तम फलदायी माना जाता है। जो व्यक्ति जितने रूपों में तिल का उपयोग तथा दान करता है उसे उतने हजार वर्ष तक स्वर्ग में स्थान प्राप्त करता है। षटतिला एकादशी पर 6 प्रकार से तिल के उपयोग तथा दान की बात कही है वह इस प्रकार है-

1- तिल मिश्रित जल से स्नान

2- तिल का उबटन

3- तिल का तिलक

4- तिल मिश्रित जल का सेवन

5- तिल का भोजन

6- तिल से हवन।

इन चीजों का स्वयं भी प्रयोग करें और किसी श्रेष्ठ ब्राह्मण को बुलाकर उन्हें भी इनका दान भी दें।इस प्रकार जो षटतिला एकादशी का व्रत रखते हैं भगवान उनको अज्ञानतापूर्वक किए गए सभी अपराधों से मुक्त कर देते हैं और पुण्य दान देकर स्वर्ग में स्थान प्रदान करते हैं। इस कथन को सत्य मानकर जो भक्त यह व्रत करता हैं उनका निश्चित ही प्रभु उद्धार करते हैं।

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